वाराणसी । महिलाएं सशक्त बनें, अपने अधिकारों के बारे में जानें और कहीं उत्पीड़न हो तो मुखर होकर आवाज उठाएं। इसके लिए इन दिनों पुलिस कमिश्नरेट क्षेत्र में जोर-शोर से मिशन शक्ति अभियान का फेज-5 चल रहा है। मगर, महिलाओं को सशक्त करने वाली पुलिस अपने ही मामले में पीछे है। हालत यह है कि कमिश्नरेट के तीन जोन में 103 पुलिस चौकियां हैं। मगर, उनमें से महज पांच चौकी की ही इंचार्ज महिला सब इंस्पेक्टर हैं।
कमिश्नरेट के काशी, गोमती और वरुणा जोन में 30 थाने हैं। जबकि, एक साइबर क्राइम थाना है। इन 31 थानों की 103 चौकियों में तेलियाबाग, जिला जेल, आशा ज्योति केंद्र और लंका व बड़ागांव थाना क्षेत्र की दो महिला चौकी की प्रभारी महिला सब इंस्पेक्टर हैं। महिला और सिंधौरा थाने की थानाध्यक्ष क्रमश: महिला इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर हैं। इसके अलावा कमिश्नरेट के किसी अन्य चौकी या थाने की इंचार्ज महिला सब इंस्पेक्टर या इंस्पेक्टर नहीं हैं। ऐसे में यह विचारणीय सवाल है कि महिलाओं को सशक्त बनाने का बीड़ा उठाने वाली पुलिस आखिरकार अपने ही मामले में पीछे क्यों है?
848 महिला पुलिस कर्मी तैनात हैं कमिश्नरेट में
पुलिस कमिश्नरेट में मौजूदा समय में 848 महिला पुलिस कर्मी तैनात हैं। इनमें एक इंस्पेक्टर, 99 सब इंस्पेक्टर, 20 हेड कांस्टेबल और 728 कांस्टेबल शामिल हैं। राजपत्रित अधिकारियों की बात की जाए तो एक डिप्टी एसपी और तीन एडिशनल एसपी स्तर की महिला पुलिस अधिकारी कमिश्नरेट में तैनात हैं।
कमिश्नरेट के दो थानों में महिला थानाध्यक्ष हैं। थानों की महिला हेल्प डेस्क का संचालन महिला पुलिस कर्मी ही करती हैं। साइबर क्राइम थाने से लेकर ट्रैफिक पुलिस तक महिला पुलिस कर्मी फील्ड ड्यूटी में सक्रिय हैं। तीनों जोन के डीसीपी को निर्देशित किया जाएगा कि महिला चौकी इंचार्जों की संख्या भी बढ़ाई जाए। -मोहित अग्रवाल, पुलिस आयुक्त