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by admin@gmail.com on | 2024-10-09 11:01:32 Last Updated by admin@gmail.com on
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लखनऊ. हरियाणा विधानसभा चुमाव में बीजेपी की धमाकेदार जीत के साथ लगातार तीसरी बार सरकार बनने जा रही है. तमाम एग्जिट पोल के दावों के उलट बीजेपी ने 90 में से 48 सीट जीतकर बहुमत हासिल किया है. हालांकि, हरियाणा के चुनाव परिणाम से कांग्रेस खुश नहीं है, लेकिन इंडिया गठबंधन के कुछ सहयोगी जरूर गदगद नजर आएंगे. हरियाणा चुनाव के नतीजों का असर खासकर उत्तर प्रदेश में होने वाले 10 विधानसभा के उपचुनाव में जरूर देखने को मिलेगा.
जानकारों के मुताबिक कांग्रेस की हार से सबसे ज्यादा फायदा समाजवादी पार्टी और उसके मुखिया अखिलेश यादव को मिलेगा. हरियाणा चुनावों के नतीजे से यूपी के सियासी गलियों में हलचल तेज हो गई है. कहा जा रहा है कि कांग्रेस की हार से समाजवादी पार्टी गदगद है. आखिर इसके पीछे की वजह है क्या? दरअसल, हरियाणा विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस से पांच सीटों की डिमांड की थी. इसके एवज में यूपी में होने वाले 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में सीट शेयरिंग आसान रहता, लेकिन कांग्रेस की तरफ से सपा की इस मांग पर कोई तवज्जो नहीं दी गई. नतीजा ये रहा कि अखिलेश यादव ने चुनाव से कदम पीछे खिंच लिए और कहा कि बीजेपी को हराने के लिए वह कोई भी कुर्बानी दे सकते हैं.
अब नहीं कर पाएगी दबाव की पॉलिटिक्स
अब हरियाणा चुनाव परिणाम के बाद समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव की कुर्बानी की याद दिलाने लगे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस यूपी उपचुनाव में पार्टी को विस्तार देना चाहती है. इसके लिए वह गठबंधन के तहत उन पांच सीटों की मांग कर रही हैं, जहां 2022 में बीजेपी को हार मिली थी. लेकिन हरियाणा में आए नतीजों के बाद कांग्रेस को झटका लगा है. अब वह दबाव की पॉलिटिक्स कर ज्यादा सीटें मांगने की स्थिति में नहीं होगी. समाजवादी पार्टी यूपी में खुद को मजबूत मानती है, लिहाजा वह भी कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने के मूड में नहीं थी. अब हरियाणा चुनाव के नतीजों से समाजवादी पार्टी गठबंधन के साथ ही कांग्रेस को दबाव में रखेगी और ज्यादा सीटों की मांग पर भी लगाम लगेगा.
हरियाणा में हार से कांग्रेस को झटका
जानकारों के मुताबिक अगर कांग्रेस हरियाणा में जीतती तो वह यूपी में विस्तार की राजनीति को आगे बढ़ाती। इसकी तैयारी भी उसने 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में कर दी थी. लाजमी था इस वजह से गठबंधन में दरार आ सकती थी. लेकिन हरियाणा में हार से कांग्रेस एक बार फिर जमीन पर आ गई है. और उसे छोटे भाई की भूमिका ही निभानी पड़ेगी.